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शिक्षा अपरिहार्य है , क्योकि मानव जाति की सबसे बड़ी खोज का नाम शिक्षा है | शिक्षा का पूर्ण प्रकटीकरण ध्यान के माध्यम से होता है | ध्यान अर्थातृ दिमाग की शान्ति जीतनी सघन होगी।,शिक्षा की प्रक्रिया उतनी ही सरल होगी | यहाँ पर दो बातें महत्वपूर्ण है | पहली ध्यान और दूसरी शिक्षा की प्रक्रिया सीखने का ढंग | दोनों पर विचार अपरिहार्य है |

ध्यान : वर्तमान में जीने की कला का नाम " ध्यान " है | भूत या भविष्य में विचरण करने की कला का नाम " विचार " है | विचार प्राय : दूसरो से सुनकर या पुस्तकें पढ़कर सीखे जाते हैं तथा अपने अनुभवों से जोड़कर किये जाते हैं और अभिव्यक्त किये जाते हैं | इसी प्रक्रियाको चिन्तन या मनन भी कहा जाता है | किन्तु ध्यान से नि:सृत विचार को " द्ष्टि " कहा जाता है | द्ष्टि चिन्तन करके नहीं कहता है | वह देखकर करता है ,जो देखता है वही कहता है | ये उसके अपने विचार होते हैं | जो उसी के स्रोत से आते हैं | वर्तमान में जिये कैसे ? इस प्रश्न का उत्तर है प्रीतिदिन एक घंटा खेलें या चित्र बनायें या पेंटिंग करें या गीत गायें या वाद्य यंत्र बजाएं का जो भी कार्य करें मन को उसी कार्य में रोकने का स्वभाव विकसित करें

शिक्षा की प्रिक्रया : सीखने के कला का नाम विद्या है | विद्या उपलब्धि है सीखने की और यह उपलब्धि अभ्यास से सिद्ध होती है |
अभ्यासेन सिद्धयति विद्या अर्थातृ प्रैक्टिस मैक्स ए मैन परफेक्ट। अभ्यास व्यक्ति को निपुण बना देता है। करत करत अभ्यास से जसमति होत सुजान अभ्यास कैसे करे ? इस प्रश्न का उत्तर है।
प्रतिदिन शाम को एक घंटा प्रत्येक विषय को पढ़ने के लिए दें। जिस दो भागों में बांटे 30 मिनट पढ़ने के लिए और 30 मिनट लिखने के लिए। यही क्रम एक सप्ताह में 6 दिन अत्यावश्यक रूप से चलाये। प्रता: उठकर शाम को पढ़े गये विषयो को सिर्फ पढ़े। लिखने का कार्य न करें। प्रता:काल को तो अपने द्वारा लिखे गये लेख को ध्यान से देखें और महसूस करें कि लेख साफ व सुन्दर है। या गन्दा व कुरूप है। इस प्रक्रिया को नियमित चलाते रहें। आप पाएंगे कि एक महा में ही लेख साफ व सुन्दर हो चला है तथा आपके लिखने व पढ़ने और समझने की गति बढ़ गयी है। गति जितनी बढ़ेगी , विषय उतना सरल हो जायेगा तथा पढ़ने में आनन्द आने लगेगा और मन भी लगने लगेगा।
अभिभावक भाई -बहनों ! अपने बच्चे को इस महान कार्य को सम्पंन करने में सहायता करें। उन्हें यथावश्यक धन व यथावश्यक समय जरूर दें तथा उनके कार्य की प्रशंसा जरूर करें। बच्चे के शिक्षित होने में ही आपके परिवार का भविष्य उज्ज्वल होगा। आपके परिवार की शिक्षा व सम्पनता ही देश को महान बनायेगी।
ओशो ध्यान विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना इसी महत कार्य को सम्पन करने के लिए की गई है। आप सभी अपने बच्चों का महाविद्यालय में प्रवेश कराके हमारी सहायता करे। मै आपको को सुखद परिवर्तन का आश्वासन देता हूँ।

आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामनाओं के साथ.............

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